Thursday, April 18, 2013

वर्ण व्यवस्था

वर्ण व्यवस्था और उससे जनित जाति व्यवस्था ने राष्ट्र का भरी नुकशान किया है । आज भी हिंदुस्तान का राष्ट्रवाद इसी लिए असफल होने लगता है क्योंकि उसकी जड़ों को नष्ट करने का काम ही यही प्राचीन व्यवस्था कर रही है ।यहाँ आज भी शादियाँ कुछ अपवादों को छोड़ कर जाति  में ही होती हैं ।जब तक अंतरजातीय विवाह भारी संख्या में नहीं होंगे , धार्मिक पर्वों में साथ साथ सभी जातियों के सदस्य भोजन नहीं करेंगे ,तब तक बात बनेगी नहीं ।

मात्र विरोध करना इसका हल नहीं ।भारतीयता के लिए राष्ट्र के लिए जातिविहीन समाज बनाना ही पड़ेगा ।पिछड़ी और अनुसूचित जातियों को चाहिए कि  वे उच्च जातियों के गुणों को सीखें । अपने में विद्वता पैदा करें ,ब्राह्मणत्व पैदा करें ।सूरज पर थूकोगे तो तुम्ही पर गिरेगा , यह समझना पड़ेगा ।हमें सूरज का विरोध करने के बजाय उस जैसा बनना होगा ।

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