Friday, April 12, 2013

Sahitya

स  हितम  इति साहित्यम , मानव मानव समान हैं  ऐसा साहित्य लिखा जाय , न कि विभेद का । आइये रामस्वरूप वर्मा का मानववाद आगे बढ़ायें ।

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