Monday, April 15, 2013

समानता , बन्धुता, राष्ट्रीयता

हिंदुस्तान की सबसे भयानक और दुसाध्य बीमारी है ---समाज में ऊँच -नीच , छुआछूत की पोषक जन्म आधारित जाति व्यवस्था । महात्मा बुद्ध से लेकर अम्बेडकर , लोहिया और महामानव राम स्वरूप वर्मा ने इसे समूल मिटाने का प्रयत्न किया । श्री राज कुमार सचान होरी  , राष्ट्रीय अध्यक्ष अर्जक साहित्य परिषद के नेतृत्व में मनुष्य मनुष्य में समानता की भावना बलवंत होगी । श्री होरी वर्ण और जाति के पक्षधर नहीं हैं , परन्तु उनका मानना है कि उच्च वर्णों और जातियों का विरोध करना उचित रास्ता नहीं है । इसके लिये आवश्यक है कि पिछड़ी , और अनुसूचित तथा अल्प संख्यकों को जिन्हें हम अर्जक कहते हैं विद्वता ,  ज्ञान , धर्म ,दर्शन आदि क्षेत्रों में काम करना पड़ेगा । स्वयम् को उठाना होगा । पांडित्य और ब्राह्मणत्व स्वयम् में पैदा करना होगा। 
राष्ट्र का सशक्तीकरण तभी और केवल तभी होगा ।
                     सचिव ,अर्जक साहित्य परिषद

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